HELTH:- आयुष्मान 42% आयुष्मान भारत योजना से अनजान, सर्वे में दावा 82% दिव्यांगों के पास बीमा नहीं !
एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा कि ये महज आंकड़े नहीं हैं, ये वास्तविक लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो स्वास्थ्य देखभाल से वंचित रह गए हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा दिव्यांग व्यक्तियों का अधिकार नहीं है, यह जीवनयापन के लिए एक आवश्यकता है.
देश के 82 प्रतिशत दिव्यांगों के पास किसी भी प्रकार का बीमा नहीं है. जबकि 42 प्रतिशत दिव्यांग सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) की जानकारी ही नहीं है. यह खुलासा एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में हुआ है. राष्ट्रीय दिव्यांगता नेटवर्क (एनडीएन) ने पिछले हफ्ते हुई बैठक में सर्वेक्षण के नतीजों को पेश किया. इस बैठक में 20 से अधिक राज्यों के नागरिक समाज समूह और दिव्यांग अधिकार संगठन समुदाय के समक्ष उपस्थित ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे.
बीमा पर दिल्ली HC का फैसला
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेषाधिकार नहीं है, यह जीवनयापन के लिए एक आवश्यकता है. बीमा पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला एक मील का पत्थर था, फिर भी निजी बीमा कंपनियां उन्हें यह सुविधा देने से इनकार कर रही हैं, जागरूकता और पहुंच में कमी है.
सरकार पर भी सवाल उठाया
अरमान अली ने सरकार के मानदंडों पर भी सवाल उठाया और कहा कि आयुष्मान भारत 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों लाभांवित करता है, लेकिन दिव्यांग व्यक्तियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि दिव्यांगता और गरीबी एक दुष्चक्र का हिस्सा हैं. हम केवल योजनाओं की मांग नहीं कर रहे हैं, हम प्रतिनिधित्व और नीतिगत बदलावों की मांग कर रहे हैं.
बीमा कराना लगभग असंभव
बैठक में विशेषज्ञों ने दिव्यांगों को स्वास्थ्य बीमा प्राप्त करने से रोकने वाली बाधाओं का जिक्र किया. मल्टीपल स्क्लेरोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव संदीप चिटनिस ने कई लोगों के सामने आने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा, जिस क्षण आपकी दिव्यांगता का पता चलता है, बीमा कराना लगभग असंभव हो जाता है. आवेदनों को सीधे खारिज कर दिया जाता है. हमें एक कैशलेस, सुलभ प्रणाली की आवश्यकता है जो लोगों को उनकी दिव्यांगता के लिए दंडित न करे.