BREAKING NEWS:-सिंघाड़ा पिपलिया सरपंच सचिव की भ्रष्टाचारी एवं फर्जीवाड़े के विरुद्ध हुए ग्रामीण जन लामबंद पड़े ये खबर !
सौंपे जिला कलेक्टर को शिकायत पत्र,
मामला पूर्व किए कार्यों पर मिली भगत से फर्जी राशि आहरण का...,
रामपुरा/नीमच: जिला नीमच अंतर्गत जनपद पंचायत मनासा की ग्राम पंचायत सिंघाड़ा पिपलिया अक्सर विवादों एवं सुर्खियों में बनी रहना एक बात सी हो गई हैं, ताज़ा मामला अनुसार सोमवार को ग्राम पंचायत पिपल्या सिंघाड़िया के ग्रामीणजन लामबंद हो पंचायत में हो रही भ्रष्टाचारी अनियमितताओ शासन राशि का फर्जी तरीके से आहरण के विषय का शिकायत पत्र लेकर वर्तमान सरपंच व सचिव तथा अधिकारियों की मिली भगत के विरुद्ध जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, जिसके अनुसार सिंघाड़ा पिपलिया पंचायत में खेत, तालाब योजना में फर्जी तरीके से तालाबों व डकवेल रिचार्ज की स्वीकृति करवाकर उसकी राशि निकलवाई गई , जबकि यह तालाब प्रधानमंत्री सिंचाई योजना बलराम तालाब वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक सभी तालाबों को प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में स्वीकृति दी गई थी, जिनका कार्य पूर्ण कर उसकी राशि संबंधित हितग्राही को उसके खाते में ट्रांसफर कर दी थी तथा सरपंच व सचिव द्वारा दोबारा इन्हीं तालाबों को स्वीकृत करवाकर उसकी राशि निकलवा ली गई, जिन तालाबों की स्वीकृति की गई है उन हितग्राहियों के नाम मांगीलाल पिता गिरधारीलालजी धनगर निवासी सिंघाड़िया पिपल्या, रमेश पिता शंकरलालजी पाटीदार, रामचन्द्र पिता भेरुलालजी धनगर, रोड़ीलाल पिता नाथुलालजी सेन, बगदीराम पिता भेरुलालजी धनगर सभी निवासी सिंघाड़ियापिपल्या के होकर ग्राम पंचायत सिंघाड़िया पिपल्या में आते हैं तथा सरपंच, सचिव द्वारा सभी हितग्राहियों को फर्जी तरीके से खेत तालाब योजना में स्वीकृति करवा ली है तथा इसके अलावा अन्य ग्राम कराड़िया में भी इन्होंने तालाब व डकवेल रिचार्ज को फर्जी तरीके से स्वीकृत करवाकर उनकी राशि अपने खाते मे ट्रांसफर करवा ली है, जिसके बारे में हितग्राहियों तक को कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि, इसके पूर्व दिनांक 9 सितंबर को भी ग्रामीण जन द्वारा शिकायत पत्र दिए गए थे किंतु दोषियों के विरुद्ध आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।
ग्रामीणजन द्वारा लामबंद हो अपनी ही पंचायत के सरपंच सचिव के विरुद्ध भ्रष्टाचारी फर्जी राशि आहरण की बारम्बार आवाज उठाना और उस पर जिम्मेदारों द्वारा यूं उदासीनता प्रतीत कर कोई कार्यवाही नहीं करना प्रशासन तंत्र पर एक विचारणीय सवालिया निशान दर्शाता हैं?